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Tuesday 20 December 2011

मंजिलो पे आ के लूटते है, दिलों के कारवाँ गीत
 
मंझिलो पे आ के लूटते है, दिलों के कारवा
कश्तिया साहिल पे अक्सर डूबती हैं प्यार की

मंझिले अपनी जगह है, रास्ते अपनी जगह
जब कदम ही साथ ना दे, तो मुसाफिर क्या करे?
यूं तो हैं हमदर्द भी और हमसफ़र भी हैं मेरा
बढ़ के कोई हाथ ना दे, दिल भला फिर क्या करे?

डूबनेवाले को तिनके का सहारा ही बहोत
दिल बहल जाए फकत  इतना इशारा ही बहोत
इतने पर भी आसमानवाला गिरा दे बिजलियाँ
कोई बतला दे ज़रा ये, डूबता फिर क्या करे?

प्यार करना जुर्मा हैं तो जुर्म हम से हो गया
काबिल-ए-माफी हुआ, करते नहीं एसे गुनाह
संगदिल हैं ये जहां और संगदिल मेरा सनम
क्या करे जोश-ए-जूनून और हौसला फिर क्या करे?
 
 Sangeet jha 
 
 
 

बडी सुनी सुनी है, जिंदगी ये जिंदगी

 

बड़ी सूनी सूनी है, जिन्दगी ये जिन्दगी
मैं खुद से हूँ यहाँ अजनबी, अजनबी

कभी एक पल भी कही ये उदासी
दिल मेरा भूले
तभी मुस्कुराकर दबे पाँव आ कर
दुःख मुझे छूँ ले
न कर मुझे से गम मेरे दिल्लगी ये दिल्लगी

कभी मैं न सोया, कही मुझ से खोया
सुख मेरा ऐसे
पता नाम लिखकर कही यूँही रखकर
भूले कोई जैसे
अजब दुःख भरी हैं ये,बेबसी,बेबसी
 
 Sangeet jha 
 

ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ

 

ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो, दिल मेरा दिल ना रहा

रेशमी जुल्फें हैं सावन की घटाओं जैसी
पलकें हैं तेरी, घने पेंड की छांव जैसी
भोलापन और हसीं , आफरीन, आफरीन

झील सी आँखों में, मस्ती के जाम लहराए
जब होंठ खुले तेरे सरगम बजे महके फिजाए
हर अदा दिलनशीन, आफरीन, आफरीन

पतली सी गर्दन में एक बल हैं सुराई जैसा
अंदाज मटकने का देखा ना किसी में ऐसा
गुलबदन नाजनीन, आफरीन, आफरीन
 
sangeet jha 
 

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